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भारत आने वाले प्रमुख विदेशी यात्री !! Bharat aane wale pramukh Videshi Yatri in Hindi !!

भारत आने वाले विदेशी यात्री (Bharat Aane Wale Pramukh Videshi Yatri in Hindi)

भारत आने वाले प्रमुख यात्री 


  • प्लिनी यह  भारत में पहली शताब्दी में आया था  प्लिनी द्वारा ' नेचुरल हिस्ट्री ' ( Natural History ) नामक पुस्तक लिखी गयी है। इस पुस्तक में भारतीय पशुओं,पेड़ों,खनिजों आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है.यह एक प्रमुख भूगोलवेत्ता भी थे। 

  • टॅालमी -' भारत का भूगोल ' नामक पुस्तक के  लेखक टॅालमी ने दूसरी शताब्दी में भारत की यात्रा की थी। टॉलेमी (Ptolemy) का पूरा नाम Claudius Ptolemaeus था, जो कि एक ग्रीक खगोल शास्त्री गणितज्ञ  और भूगोल शास्त्र के विद्वान थे, टॉलेमी (Ptolemy) मिस्र के अलेक्जेंड्रिया में रहते थे तथा उन्होंने सारा जीवन यहीं काम किया उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी मौजूद है. वे मूलत ग्रीक थे तथा रोमन साम्राज्य के नागरिक थे.  उन्होंने एक महान पुस्तक लिखी जिसका नाम जुगराफिका Geographica था इस पुस्तक में उन्होंने विस्तार से उस समय के भूगोल का वर्णन किया है.

  •  मेगास्थनीज - यह एक यूनानी शासक सैल्युकस निकेटर का राजदूत था जो 302 ई.पू. चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। यह 6 वर्षों तक चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहा और ' इंडिका ' नामक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक से मौर्य युग की संस्कृति,समाज एवं  भारतीय इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है ।


  • डाइमेकस - यह बिन्दुसार के राजदरबार में आया था । डाइमेकस सीरीयन नरेश आन्तियोकस का राजदूत था। इसके द्वारा किये गए विवरण मौर्य साम्राज्य से संबंधित है।

  • डायोनिसियस - यह यूनानी राजदूत था जो मौर्या सम्राट बिन्दुसार के दरबार में आया था। इसे मिस्र के नरेश टॅालमी फिलेडेल्फस द्वारा दूत बनाकर भेजा गया था। डायमेकस की ही भाँति स्ट्रैबो आदि परवर्ती यूनानी लेखकों के विवरणों में इसके तत्कालीन सामाजिक और आर्थिक दशाओं पर उद्धरण मिलते हैं.

  • फाहियान - यह एक चीनी यात्री था जो गुप्त साम्राज्य में चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में 405 ई. में भारत आया था तथा 411 ई. तक भारत में रहा। इसका मूल उद्देश्य भारतीय बौद्ध ग्रंथों की जानकारी प्राप्त करना था। इसने अपने विवरण में मध्यप्रदेश की जनता को सुखी और समृद्ध बताया है। धार्मिक प्रवृत्ति का होने के कारण इसने भारत की धार्मिक अवस्था विशेषकर बौद्ध धर्म की स्थिति पर विशेष प्रकाश डाला है. यहाँ तक कि अपने वृत्तान्त में वह भारतीय सम्राट् के नाम का उल्लेख तक नहीं करता. उस समय की सामाजिक व्यवस्था का इसके द्वारा विशेष वर्णन मिलता है.


  • ह्वेनसांग - यह भी एक चीनी यात्री था जो हर्षवर्धन के शासन काल में भारत आया था। यह 630 ई. से 643 ई. तक भारत में रहा तथा 6 वर्षों तक नालंदा विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की। हुएनसाँग के भ्रमण वृत्तांत को सि-रू-की  नाम से भी जाना जाता है।इसके विवरण में हर्षवर्धन के काल के समाज,धर्म एवं राजनीति का उल्लेख है. ह्वेनसांग के अनुसार – सम्राट शीलादित्य (हर्ष) अपने राज्य की 3/4 आय धार्मिक कार्यों पर व्यय करता था, सती प्रथा का चलन था, दंड विधान कठोर था, लोग ईमानदार थे और मांस, प्याज व मद्यपान का सेवन नहीं करते थे, जाति प्रथा कठोर थी. ह्वेनसांग को तीर्थयात्रियों का राजकुमार (prince of pilgrims) कहा जाता है.

  • संयुगन - यह चीनी यात्री था जो 518 ई. में भारत आया था। इसने अपनी यात्रा में बौद्ध धर्म से संबंधित प्रतियाँ एकत्रित किया।

  • इत्सिंग - इस चीनी बौद्ध यात्री (671-95 ई.) ने 7 वी शताब्दी में भारत की यात्रा की थी। इसने नालंदा विश्वविद्यालय तथा विक्रमशिला विश्वविद्यालय का वर्णन किया है। इसने अपनी पुष्तक प्रमुख बौद्ध भिक्षुओं की आत्मकथाएँ में समकालीन भारत का वर्णन किया है.

  • अलबरूनी - यह भारत महमूद गजनवी के साथ आया था। अलबरूनी ने ' तहकीक-ए-हिन्द या 'किताबुल हिन्द' नामक पुस्तक की रचना की थी। इस पुस्तक में हिन्दुओं के इतिहास,समाज, रीति रिवाज, तथा राजनीति का वर्णन है। Alberuni के अनुसार भारतीय समाज 16 जातियों में विभाजित था. उसकी किताब में ब्राह्मणों को विशेषाधिकार, वैश्य जाति की दशा में गिरावट, बाल विवाह, सती प्रथा और विधवा विवाह जैसी कुप्रथाओं का वर्णन है.

  • मार्कोपोलो - यह 13 वी शताब्दी के अन्त में भारत आया था। यह इटली का यात्री था जो पांडय राजा के दरबार में आया था।  उस समय वहाँ पांड्य शासिका रुद्रम्बा देवी शासन कर रही थी. उसने अपने यात्रा वृत्तांत को The Travels नामक पुस्तक में लिखा, जिसमें दक्षिण के राज्यों की आश्चर्यजनक आर्थिक समृद्धि, विदेशी व्यापार और वाणिज्य का वर्णन किया गया है. इसने भारत भ्रमण 1292-93 ई. में किया था. इसकी एक अन्य पुस्तक सर मार्कोपोलो की पुस्तक में भारत के आर्थिक इतिहास (Economic history of India) का वर्णन है.

  • इब्नबतूता - यह अफ्रीकी यात्री मुहम्मद तुगलक के समय भारत आया था।मुहम्मद तुगलक द्वारा इसे प्रधान काजी नियुक्त किया गया था तथा राजदूत बनाकर चीनी भेजा गया था। इब्नबतूता द्वारा '  रहेला ' की रचना की गई है जिससे फिरोज तुगलक के शासन की जानकारी मिलती है।

  • अलमसूदी - यह अरबी यात्री प्रतिहार शासक महिपाल प्रथम के शासन काल में भारत आया था। इसके द्वारा 'महजुल जबाह' नामक ग्रंथ लिखा गया था।

  • अब्दुल रज्जाक - यह ईरानी यात्री विजयनगर के शासक देवराय द्वितीय के शासन काल में भारत आया था।

  • पीटर मण्डी - यह यूरोप का यात्री था जो जहांगीर के शासन काल में भारत आया था।

  • बाराबोसा - यह 1560 ई. में भारत आया था जब विजयनगर का शासक कृष्णदेवराय था। पुर्तगाली यात्री (Portuguese traveller) डुआर्ट बारबोसा (Duarte Barbosa) कृष्णदेव राय के समय में विजयनगर की यात्रा पर आया था. यह (1510-16 ई.) पुर्तगाली गवर्नर अल्बुकर्क का दुभाषिया (translator) था. विजयनगर की सामाजिक दशा, अर्थव्यवस्था और राज्य की नीतियों आदि के बारे में उसके द्वारा दिया गया विवरण ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है. कृष्णदेव राय की प्रशंसा करते हुए उसने लिखा है “राजा इतनी स्वतंत्रता देता है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से आ-जा सकता है.” इसने अपना यात्रा का वृत्तांत The book of Duarte Barbosa” नामक पुस्तक में लिखा है. इसने सती प्रथा का वर्णन है.

  •  निकोला मैनुकी - यह वेनिस का यात्री था जो औरंगजेब के दरबार में आया था। इसके द्वारा ' स्टोरियो डी मोगोर ' नामक ग्रंथ लिखा गया जिसमें मुगल साम्राज्य का वर्णन है।

  • बेलैंगडर डी लस्पिने - यह एक फ्रासीसी सैनिक था जो 1672 ई. में समुद्री बेड़े के साथ भारत पहुँचा था। इसके द्वारा पाण्डिचेरी नगर की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान रहा था।

  • जीन बैप्टिस्ट तेवर्नियर - यह शाहजहां के शासन काल में भारत आया था। इसके द्वारा ही भारत के प्रसिद्ध हीरा ' कोहिनूर ' की जानकारी दी गई हैं।

  • कैप्टन हॅाकिग्स - यह 1608 ई. से 1613 ई. तक भारत में रहा। यह जहांगीर के समय भारत आया था तथा ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए सुविधा प्राप्त करने का प्रयास किया। यह फारसी भाषा का जानकार था। इसके द्वारा जहांगीर के दरबार की साज सज्जा तथा जहांगीर के जीवन की जानकारी प्राप्त होती है।

  •  सर टामस रो - यह ब्रिटिश दूत था, जिसने 1615 ई. में जहाँगीर के साथ मांडू और अहमदाबाद की यात्रा की. उसने मुग़ल साम्राज्य और अपनी यात्रा का विवरण अपनी पुस्तक A voice to East Indies में दिया है. उसने मुग़ल दरबार में होने वाले षड्यंत्रों और भ्रष्टाचार के विषय में लिखा है. यह भारत में चार वर्ष रहा था।

  • बर्नियर -  यह एक फांसीसी डाँक्टर था जो 1556 ई. में भारत आया था। इसने शाहजहां तथा औरंगजेब के शासन काल का विवरण किया है। इसकी यात्रा का वर्णन ' ट्रेवल्स इन द मुगल एम्पायर ' में है जो 1670 ई. में प्रकाशित हुआ था। इस ग्रन्थ में तत्कालीन हिंदू-मुस्लिम समाज के तौर-तरीकों और रस्म-रिवाजों और व्यापार-वाणिज्य आदि का सजीव और तथ्यपूर्ण विवरण लिखा है.

  •  हमिल्टन - यह एक शल्य चिकित्सक था जो फारुखसियार के शासन काल में ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रतिनिधि मंडल का सदस्य बनकर भारत आया था।




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