Computer क्या होता है और क्या होता है कंप्यूटर जनरेशन? What is Computer and computer Generation in Hindi?
Hello दोस्तों आपका एक बार फिर से स्वागत है इस जानकारी भरी दुनियां में और कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी भरी दुनिया में, शायद आप अब सोच रहे होंगे कि मैंने यहां कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी ये दोनों शब्दो को प्रयोग क्यों किया। दरअसल आज में आप लोगों को इसी कंप्यूटर के बारे में कुछ जानकारियां देने वाला हूं।
वैसे आपलोगो को तो जानते हैं की आज कंप्यूटर का इस्तेमाल कौन से काम में नहीं हो रहा है चाहे वो कोई भी दफ्तर हो, स्कूल हो या कोई उद्योग हो इसका उपयोग जीवन के कई क्षेत्रो में प्रवेश कर चूका है. आज जो मेरा ये लिखा हुआ ब्लॉग पढ़ रहे है ये भी तो कंप्यूटर के द्वारा हे संभव हो सका न. हमारे रोज के कामो में कंप्यूटर की उपयोगिता बढ़ती ही जा रही है हमारे घर के बिजली बिल से लेके फ्लाइट्स टिकट, ट्रैन टिकट्स , और तो और मंगल ग्रह तक का सफर सारा कंप्यूटर के माध्यम से हे तो हो रहा है. आज कंप्यूटर के माध्यम से ही तो हम ऊँचाइयो को छूते हुए चन्द्रमा और मंगल ग्रह तक जा पहुचे है. और आजकल के डिजिटल दुनियां बिना इंटरनेट और कंप्यूटर के कोई सोच भी नहीं सकता।
दरअसल आज आप यही सब पढ़ते पढ़ते जानेंगे कि कंप्यूटर होता क्या है और आज कल जो हम सुनते है Computer Generation क्या होता है? तो चलिए जानते है कंप्यूटर के बारे में और वो भी पूरी डिटेल्स के साथ.
Computer क्या होता है? What is Computer in Hindi?
सबसे पहले हम ये जानते है की कंप्यूटर आखिर होता क्या है. आपलोगो में शायद कई को इसके बारे पता भी हो फिर भी में इसकी पूरी जानकारी देने की कोशिश करूँगा।
Computer वर्ड Compute से मिलकर बना है जिसका मतलब होता है गणना(Calculation ) करना basically कंप्यूटर जब बना था तब इससे सिर्फ गणनाये और कुछ सिमित काम ही किये जाते थे और आज की तुलना में देखे तो पहले का कंप्यूटर कुछ भी नहीं था लेकिन ये बात को भी न भूले की कंप्यूटर की उत्पत्ति भी तो उसी एक सामान्य से कंप्यूटर से हुई. आज का कंप्यूटर पहले की तुलना में काफी स्मार्ट हो गया है और तो और
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो की किसी भी काम को चुटकियों में कर देता हैं या कहे ये कहें की कंप्यूटर विद्युत से चलने वाला एक मशीन है जो यूजर से इनपुट किये गए डाटा को प्रोग्राम के अनुसार प्रोसेस करता है और इसके बाद आउटपुट के रूप में रिजल्ट दिखाता है. जिसे भविष्य में भी प्रयोग किया जा सकता है.
कंप्यूटर का आविष्कार कैसे हुआ। How Computer Was Discovered।
कंप्यूटर का आविष्कार दुनियां के सबसे महान आविष्कारों में से एक है, इसने मनुष्य के जीवन जीने का तरीका हे बदल दिया, सारे काम अब इसी से किये जाते हैं. इसने इंसान का काम बोहोत आसान बना दिया है.पर क्या आप जानते है की इसका आविष्कार किसने और कब किया? अगर नही पता तो जान ले.
जिस इंसान ने Computer का आविष्कार किया था उनका नाम Charles Babbage हैं. लंदन में पैदा हुए चार्ल्स बेबेज को Father Of Computer कहा जाता है ये मैथेमैटिशन, फिलॉसोफेर, इन्वेंटर और एक कुशल मैकेनिकल भी थे. इन्हो ने ही कंप्यूटर का आविष्कार 1822 में किया और Differential Engine नाम से Mechanical Computer बनाया था. परन्तु कई इतिहासकार मानते हैं की चार्ल्स बैबेज ने सिर्फ एक ऐसी मशीन बनायीं थी जो सिर्फ गणना कर सकती थी वो ये नहीं बता सकती थी की गणना सही है नहीं जो सिर्फ एक कंप्यूटर बता सकता है. खैर चार्ल्स के इस आविष्कार से कंप्यूटर की नीव रख हे चुके थे.
परन्तु असल में तकनीक के युग में दूसरा बड़ा दिन तब आया जब जर्मन वैज्ञानिक कोनराड जूस ने 1936 - 1938 के दौर में Programmable Computer का आविष्कार कर दिया। कोनराड जूस का आविष्कार इसलिए भी इतना एहम था क्युकी उन्होंने पहले Programming Computer का आविष्कार किया। कोनराड ने इस कंप्यूटर का नाम Z1 दिया था. धीरे धीरे इसका प्रचलन बढ़ने लगा था अब कई जगहों पे इसका इस्तेमाल होना शुरू हो गया था और लोग इसकी क्षमता देख के इसके और आकर्षित भी होने लगे थे. अब सभी ने ये सोच लिया था की कोनराड का ये प्रोग्रामेबल कंप्यूटर आखरी होगा परन्तु ऐसा नहीं था विज्ञानं कभी रुकता नहीं है.
कोनराड के कंप्यूटर आविष्कार के चंद सालों बाद विज्ञानं के तकनकी दुनियां में एक और तहलका तब मचा जब J . Presper Akert ने सन 1946 में दुनियां को पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर दिया ये कंप्यूटर पूरी तरह से डिजिटल था सबसे बड़ी बात ये थी की इस डिजिटल कंप्यूटर के आविष्कार के बाद सारे उपकरण डिजिटल रूप में आने लगा. इन्होने ने इस Computer का नाम ENIAC दिया जिसका मतलब था Electronic Numarical Integretal And Computer. अब धीरे-धीरे यही कंप्यूटर का विस्तार होने लगा था और इसका उपयोग सरे जगह पे होना शुरू हो गया था. इसके बाद ही इन्होने खुद की कंपनी खोल ली और ये हे बना था पहला कंप्यूटर बनाने वाली कंपनी जिसका नाम ECC (Electronic Controls Company ) पड़ा था.
कंप्यूटर कितने प्रकार के होते है:
Computer कुल 4 प्रकार के होते हैं, निचे हम इन चारो के बारे में बताने जा रहे हैं---
Super Computer:- यह Computer सबसे Powerful कंप्यूटर होता है और सबसे महंगा भी इस तरह के कंप्यूटर का उपयोग ज्यादातर बड़े organizations द्वारा ही use किये जाते है. NASA और ISRO भी supercomputer का उपयोग करता है अपने space shuttles launch करने के लिए, उन्हें control करने के लिए और space को explore करने के लिए भी.
Mainframe Computer:- यह उतना powerful नहीं होता जितना की supercomputer होते है लेकिन फिर भी यह बहुत महंगे होते है government organizations ज्यादातर इसी तरह के कंप्यूटर का इस्तेमाल करते है. Banks, educational institution और insurance companies भी इस तरह के कंप्यूटर का उपयोग अपने ग्राहकों के data store करने के लिए करते है.
Mini Computer:- इस तरह के कंप्यूटर का प्रयोग small business और firms द्वारा किया जाता है. Minicomputer को हम midrange computer के नाम से भी पुकारते है.
Micro Computer:- हम जो आमतोर पर desktop computers, laptops, tablets, smartphones इस्तेमाल करते है वो microcomputer में ही आते है. इस तरह के कंप्यूटर सबसे ज्यादा use किये जाते है और यह बाकि कंप्यूटर से सस्ते भी होते है. इस तरह के कंप्यूटर entertainment, education, gaming और दुसरे काम के लिए बनाये जाते है.
इस विकास के क्रम को हम कम्प्यूटर में हुए मुख्य परिवर्तन के आधार पर निम्नलिखित पॉंच पीढि़यों में बॉंटते हैं:-
कम्प्यूटरों की प्रथम पीढ़ी (First Generation Of Computer) :- 1946-1956
कंप्यूटर की प्रथम पीढ़ी की शुरुआत सन् 1946 में एकर्ट और मुचली के एनिएक (ENIAC-Electronic Numerical Integrator And Computer) नामक कम्प्यूटर के निर्माण से हुआ था इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग किया जाता था जिसका आविष्कार सन् 1904 John Ambrose Fleming ने किया था इस पीढ़ी में एनिएक के अलावा और भी कई अन्य कम्प्यूटरों का निर्माण हुआ जिनके नाम एडसैक (EDSEC – Electronic Delay Storage Automatic Calculator), एडवैक (EDVAC – Electronic Discrete Variable Automatic Computer ), यूनिवैक (UNIVAC – Universal Automatic Computer), एवं यूनीवैक – 1 (UNIVAC – 1) हैं।
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर स्पीड में बोहोत Slow होते थे और इनका आकर भी बोहोत बड़ा होता था और तो और इनकी मेमोरी भी बोहोत कम होती थी जिसके वजह से इन कम्प्यूटर्स में डाटा स्टोर कर के नहीं रखा जा सकता था. इन कम्प्यूटर्स की कीमत भी बहोत होने के कारन ये आम जनता से भी बहोत दूर थी.
प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर्स के निम्नलिखित लक्षण थे:-
- पंचकार्ड पे आधारित
- संग्रहण के लिए मैग्नेटिक ड्रम का प्रयोग
- बोहोत ही नाजुक और काम विश्वसनीय
- AC की आवश्कता
- मशीनी तथा असेंबली भाषाओ में प्रोग्रामिंग
- अधिक मात्रा में बिजली का उपयोग
- ENIAC
- EDVAC
- EDSAC
- UNIVAC
- MARK -1
कम्प्यूटरों की द्वितीय पीढ़ी (Second Generation Of Computers) :- 1956-1964
दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब (Vacuum tube) की जगह ली ट्रांजिस्टरों ने, ट्रांजिस्टर अर्द्ध चालक धातु से बना होता है ट्रांजिस्टर (Transistor) का आविष्कार 1947 में बेल लेबोरेट्रीज द्वारा किया गया था ट्रांजिस्टर (Transistor) का आकार वैक्यूम ट्यूब (Vacuum tube) से कहीं छोटा था ट्रांजिस्टर (Transistor) के आने से दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों छोटा गया वहीं ये Computer अधिक तीव्र गति से कार्य करने में सक्षम थे साथ ही दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में उर्जा की खपत भी बहुत कम होती थी। इसके अलावा पंच कार्ड (Punch Card) के स्थान पर मैग्नेटिक स्टोरेज डिवाइस का प्रयोग किया जाने लगा साथ ही दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं BASIC, COBOL, FORTRAN आदि का विकास हुआ साथ ही व्यवसाय में कंप्यूटरों का प्रयोग होने लगा.
द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर्स के निम्नलिखित लक्षण थे:-
- पहली पीढ़ी की तुलना में ज्यादा विश्विसनायी थे
- अपेक्षाकृत छोटे तथा काम ऊर्जा की खपत
- पहले से अधिक तेज़
- प्रथम पीढ़ी से आकार में छोटा
- पहले की अपेक्षा काम खर्चीला
- IBM 1620
- IBM 7094
- CDC 1604
- CDC 3600
- UNIVAC 1108
कम्प्यूटरों की तृतीय पीढ़ी (Third Generation of Computer) :- 1965-1971
तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में ट्रांजिस्टर (Transistor) के स्थान पर एकीकृत परिपथ (integrated circuit) यानि आईसी का प्रयोग किया जाने लगा शुरूआत मेें SSI (Small Scale Integrator) और बाद मेें MSI (medium Scale Integration) का प्रयोग होने लगा, जिसने कंप्यूटर आकार में छाेटा और कम खर्चीला बना दिया, इन आईसी का आकार छोटा और चपटा था जो आलू के चिप्स जैसा दिखाई देता था तो इन्हेंं चिप नाम से पुुुकारा जाने लगा, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की अलग-अलग बिक्री होने लगी, टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Time Sharing Operating System) का विकास हुआ.
तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित मुख्य लक्षण थे:-
- प्रथम एवं द्वितीय पीढि़यों की अपेक्षा आकार एवं वजन बहुत कम
- पोर्टेबल एवं आसान रख-रखाव
- उच्चस्तरीय भाषाओं का बृहद् स्तर पर प्रयोग जैसें - FORTRAN-I to IV, COBOL, PASCAL, BASIC, ALGOL का उपयोग
- Mouse and Keyboard का उपयोगI
- IntegratedCircuit का उपयोग
तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर्स के नाम:-
- IBM-360 Series
- Honeywell - 6000 Series
- PDP (Personal Data Processor)
- IBM 370/168
- TDC 316
कम्प्यूटरों की चतुर्थ पीढ़ी (Fourth Generation Of Computers) :- 1971-1985
चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में चिप और माइक्रोप्रोसेसर का विकास हुआ और बडे पैमाने पर LSI (Large Scale Integrated Circuits) और VLSI (Very Large Scale Integrated Circuits) का प्रयोग होने लगा, व्यक्तिगत कंप्यूटर (Personal computer) का विकास हुआ, ऑपरेटिंग सिस्टम में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (Graphical user interface) के आने से कंम्यूटर का प्रयोग बहुत सरल हो गया, माइक्रोसॉफ्ट विंडोज और एप्पल ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ, उच्च स्तरीय भाषा में C language का विकास हुआ.
ALTAIR 8800 सबसे पहला माइक्रो कम्प्यूटर था जिसे मिट्स (MITS) नामक कम्पनी ने बनाया था। इसी कम्प्यूटर पर बिल गेटस (Bill gates), जो उस समय हावर्ड विश्वविद्यालय के छात्र थे, ने बेसिक भाषा को स्थापित किया था। इस सफल प्रयास के बाद गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी की स्थापना की जो दुनिया में सॉफ्टवेयर की सबसे बड़ी कम्पनी हैं। इस कारण, बिल गेट्स को दुनिया-भर के कम्प्यूटरों का स्वामी (Owner Of Computers) कहा जाता हैं।
चतुर्थ पीढ़ी के आने से कंप्यूटर के युग में एक नई क्रान्ति आई | इन कंप्यूटर का आकार बहुत ही छोटा हो गया और मेमोरी बहुत अधिक बढ़ गई आकार छोटा होने से इन कंप्यूटर का रख रखाव बहुत आसान हो गया इसी के साथ इनकी कीमत इतनी कम हो गई की आम जनता इन कंप्यूटर को आसानी से खरीद सकती थी |
चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित विशेषताएँ थे:-
- कम खर्च और अधिक तेज़
- आकार में छोटे और काम वजन
- विद्युत का बोहोत काम उपयोग
- AC की जरुरत नहीं
- ऑपरेट करना और चलना सरल
- High Level Language जैसे C, C++, DBASE का उपयोग
- DEC 10
- Star 1000
- PDP 11
- CRAY - 1
- CRAY-X-MP (Super Computer)
- PCs
कम्प्यूटरों की पंचम पीढ़ी (Fifth Generation of Computer) :- 1985 – 1990
पांचवी पीढ़ी के के कम्प्यूटरों में USLI (Ultra Large Scale Integrated Circuits) का प्रयोग किया जाने लगा, एक USLI चिप पर 1 करोड इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाये जा सकते हैं, ऑप्टिकल डिस्क जैसे सीडी, डीवीडी ने स्टोरेज के क्षेञ में क्रांति ला दी, Internet, ईमेल का विकास हुआ, अब तक जिन कम्प्यूटरों के लिए बड़े-बड़े कमरों की आवश्यकता होती थी वो अब टेबिल पर रखे जाने लगे, ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ, अब तो बडे अाकार के मोनिटर की जगह हल्के फुल्के एईडी ने ले ली है, लोग ऑगमेंटेड रियलिटी और वर्चुअल रियलिटी सोशल मीडीया से रूबरू हुए हैं, साथ कृत्रिम बुद्धि (Artificial intelligence) पर काम चल रहा है जीवन का शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र बचा है जहां कि कम्प्यूटरों प्रयोग नहीं हो रहा हो।
पांचवी पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित विशेषताएँ थे:-
- Artificial Technology का विकाश
- Portable PC और Desktop PC का प्रयोग
- Internet, Email और WWW (World Wide Web) का विकाश
- User Friendly
- अधिक तेज़ विश्वसनीय सस्ते
- मल्टीमीडिया फीचर्स का निर्माण
- C, C++, JAVA जैसे हाई लेवल भाषाओं का प्रयोग
- Desktop
- Laptop
- Notebook
- Ultra Book
- Chrome Book
Computer की छठी पीढ़ी ( Sixth Generation of Computer) 1990 से अबतक
छठी पीढ़ी बुद्धिमान कंप्यूटर के युग के रूप में परिभाषित है। इस पीढ़ी की शुरुवात 1990 से अब तक मानी गई है। जोकि Artificial neural network यानि कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क या Artificial Intelligence यानि कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित है।
यह कंप्यूटर Processor के लिए superconductor का उपयोग करते है। जोकि बिजली बर्बाद नहीं करते और ऊर्जा की बचत करते है। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर आकार में अधिक छोटे, तेज और शक्ति शाली है।
छठी पीढ़ी के कंप्यूटर में Intel Pentium और Intel Celeron नाम के processor का इस्तमाल किया गया है। लेकिन यह processor अब Dual core, triple core, Quad core के रूप में आने लगे है। ये processor दो CPU (Dual core) ,तीन CPU (triple core) और चार CPU(Quad core) चालाने के बराबर है।
छठी पीढ़ी की इस तकनीक से अंग्रेजी, चीनी, फ्रैंच और स्पेनिश जैसी जटिल भाषाओं को आसानी से process किया जाता है और इस तकनीक के साथ आप कंप्यूटर भाषाओं को भी आसानी से समझ सकते है।
जबकि Voice recognition छात्रों और विकलांगों के लिए वरदान है। Physical device को छुए बिना बोलकर भी कार्य कर सकते है। इसका उपयोग प्रयोगशाला के साफ कमरे, Surgical operating room और Customer service के लिए किया जाता है।
छठी पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित विशेषताएँ थे:-
- Multiple Processors का उपयोग
- NANO टेक्नोलॉजी
- Quantum Computing Bits
- आकार में कम वजन
- आकार छोटे और बोहोत तेज़
- Optical Computers
- Hologram Computers
- Parallel Vector Computers
कंप्यूटर की सातवीं पीढ़ी (Seventh Generation Of Computer )
सातवीं पीढ़ी के कंप्यूटर का मतलब है की एक नए कंप्यूटर का रिलीज़ होना। आमतौर पर साल में 1 - 2 बार प्रोसेसर रिलीज़ होते हैं। इसमें प्रोसेसर्स के वास्तु कला में सुधार कर के उसमे अपग्रेड किया जाता है।
इस Desktop Computer 7th Generation "Intel Core Processors" पर आधारित हैं। इस प्रकार के कम्प्यूटर्स Smart, Stylish Design और कॉम्पैक्ट होते हैं।
सातवीं पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित विशेषताएँ थे:-
- Intelligent Softwares के साथ सिस्टम को तेज़ कार्य करने और Commands को जल्दी पूरा करने में पूर्ण सक्षम
- Quick Sync विडिओ टेक्नोलॉजी
- इसमें पूर्ण आकर की स्क्रीन पर 4K Vedio और 360 Viewing होती है
- शानदार स्पष्टता और Luminance 1 के लिए Ultra HD Blue Ray के साथ 4K HDR फिल्मे देख सकते हैं।
- पूर्ण रूप से Compact, Smart और दक्ष
Conclusion
तो आशा करता हूं आज आपने कंप्यूटर के बारे में बोहोत कुछ सीखा होगा और जाना होगा। तो ऐसे है सीखते रहे और आगे बढ़ते है।
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